तीसरी सरकार अभियान की पहल से आयोजित इस वेबिनार में हरियाणा प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, स्वैच्छिक कार्यकर्ता, कृषक एवं पत्रकार सम्मिलित हुए। इनके अतिरिक्त हिन्दुस्तान समाचार समूह के समूह सम्पादक एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री रामबहादुर राय, मिशन समृद्धि के संस्थापक सदस्य श्री योगेश एंडले, हरियाणा राज्य ग्रामीण विकास संस्थान नीलोखेड़ी के पूर्व निदेशक श्री अत्तर सिंह श्योराण एवं तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक डा.चन्द्रशेखर प्राण की सहभागिता विशेष रूप से रही। प्रारंभ में वेबिनार के स्थानीय आयोजक श्री जे. पी. मलिक (पूर्व राज्य निदेशक नेहरू युवा केन्द्र) तथा श्री राजेन्द्र कुमार (सामाजिक कार्यकर्ता) ने संयुक्त रूप से सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा उनका सामूहिक परिचय कराया।
वेबीनार पर चर्चा की शुरूआत करते हुए डा.चन्द्रशेखर प्राण ने कहा कि कोविड-19 की महामारी के बारे में सही जानकारी नहीं होने के कारण आम लोग डरे और सहमें हुए हैं। इसमें तत्काल राहत एवं बचाव के कार्य की आवश्यकता है। लोगों को रोजगार दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी कोशिश होनी चाहिए। इसमें पंचायत की क्या भूमिका होगी। वेबीनार का आयोजन इसी दृष्टि से किया जा रहा है। हरियाणा में यह छठवां वेबीनार है। इसके पहले उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और राजस्थान में इस विषय पर वेबीनार का आयोजन किया जा चुका है।
वेबिनार की शुरुआत करते हुए श्री योगेश एंडले ने इस महामारी के दौरान आपस में सद्भाव एवं सहयोग बनाने पर जोर दिया। उन्होंने झारखण्ड के गाँवों का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे परस्पर भाई चारे के साथ लोग पानी के संरक्षण तथा अपने न्यूनतम संसाधनों के उत्पादन एवं विकास का कार्य कर रहे है। हरियाणा के गावों में यदि यह भाव पैदा हो जाता है तों उसे आत्मनिर्भर बनने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यदि गाँव में उद्यमिता शुरू होगी तों आत्मनिर्भरता आएगी। बहुत सारी तकनीक आ गई है। इसका उपयोग करके गाँव में भी इंटरप्रेन्योरशिप शुरू की जा सकती है। मार्केटिंग की जा सकती है। गाँव का इकोनामिक ग्रोथ बढ़ाया जा सकता है।
नेहरू युवा केन्द्र संगठन के पूर्व राज्य निदेशक श्री बी. पी. कुशवाहा ने बताया कि हरियाणा के गाँवों में कोरोना को लेकर जागरूकता आई है लेकिन उसे और अधिक बढ़ाना है जिससे इसके संकट से पूरी तरह से बचा जा सके। हरियाणा में गाँवों के लोगों का ऐसा नेटवर्क बने जिसके माध्यम से अनुभवों का आदान प्रदान हो ही साथ ही जागरूकता बढ़ाने का कार्य भी आसानी से किया जा सके।
इस वेबिनार के स्थानीय आयोजक श्री राजेन्द्र कुमार ने हरियाणा प्रदेश के गाँवों की वर्तमान स्थिति का चित्रण करते हुए कहा कि हरियाणा के गाँवों से पलायन न के बराबर है। यहाँ पर आत्मनिर्भरता का विषय आज की तारीख में सबसे महत्वपूर्ण है। कोरोना संकट के समय अब अर्थ का केन्द्र गाँव की ओर जाता हुआ दिख रहा है। इस दिशा में सरकार के साथ साथ उद्योगपति और मजदूर भी सोचने लगा है। यहाँ पर बागवानी, डेयरी, प्राकृतिक खेती तथा ग्रामीण पर्यटन आत्मनिर्भरता के सबसे बड़े माध्यम बन सकते है, लेकिन इसकी चुनौतियाँ भी बहुत है। सामाजिक वातावरण बहुत अनुकूल नहीं है और प्रशासनिक इकाई इसके लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं है। यदि युवाओं में उद्यमिता का अभाव है तो पंचायत के एजेंडे में ग्राम स्वावलंबन का विषय ही नही है। पंचायत और सामाजिक संस्थायें दोनों को मिलाकर इसके लिए आगे आना होगा।
प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुंदर लाल जी का कहना था कि यह सही है कि हरियाणा में कोरोना प्रभावित लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है लेकिन स्थिति काबू में है। कृषि कार्य जारी रहा है। पंचायतों ने भी अपने अपने क्षेत्र में एक बेहतर व्यवस्था बनाई है, लेकिन फिर भी बचाव के लिए सावधानी जरूरी है। उनके अनुसार आजादी के बाद आत्मनिर्भरता का कार्य शुरू हुआ था, पर बाद में उपेक्षित हो गया। अब एक बार फिर से यह प्रयास शुरू हुआ है। इसके लिए ग्राम सभा को बिना मजबूत बनाए काम आगे नहीं बढ़ेगा।
श्री सुरेश बंसल ने हरियाणा के 7 हजार गॉंवों में 2 करोड़ 53 लाख आबादी का संदर्भ देते हुए बताया कि औसतन गाँव में 3500 की जनसंख्या है। इसमें से औसतन 200 बेरोजगार युवा हैं। इन युवाओं को रोजगार कैसे दिया जाय, यह चुनौती है। यदि वास्तव में गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है तो सरकार को औद्योगिक नीति में आमूलचूल परिवर्तन करना होगा। गांव में उत्पादन को प्राथमिकता देनी होगी। जीएसटी में लगभग 1205 आइटम हैं। इनमें से 30 या 40 आइटम यदि गाँव के लिए सुरक्षित कर दिए जाएं और उस पर यदि जीएसटी ना ली जाय तो सरकार को बहुत मामूली फर्क पड़ेगा। ऐसे आइटम जो खाद्य पदार्थ के हैं, जिन का उत्पादन गांव में होता है, इनकी प्रोसेसिंग स्थानीय स्तर पर, स्थानीय लोगों के माध्यम से की जाय। लेकिन वर्तमान नीति ग्रामीण आत्मनिर्भरता के अनुकूल नहीं है। जैसे अंग्रेज हमारे देश से कच्चा माल ले जाते थे और फिर उसी को तैयार कर, हमारे यहां ही उसे महंगे दामों में बेचते थे वहीं गाँव के साथ हो रहा है। इस नीति में बदलाव की आवश्यकता है। जब तक गांव के लोगों को गांव में रोजगार नहीं दिया जाएगा, तब तक आत्मनिर्भरता नहीं आ सकती और देश आगे नहीं बढ़ सकता।
पंचायत खबर नई दिल्ली के संपादक श्री संतोष सिंह ने कहा कि हरियाणा की पंचायत अलग है। यह अपना भरण पोषण अपने स्वयं के संसाधनों से भी कर सकती है। जब दूसरे प्रदेशों में मजदूरों को रोजगार देना बंद कर दिया था, मजदूर अपने घर जाने के लिए मजबूर हो गये थे,उस समय भी किसान चाहते थे कि मजदूर यही रहें। यहां किसानो और मजदूरों में बहुत अच्छा तालमेल रहा। आत्मनिर्भरता के कार्यों में महिलाओं की भी भागीदारी बढ़ानी होगी। हरियाणा में खेती और शहरीकरण दोनों है। दोनों में समन्वय करके रोजगार की संभावनाएं तलाशनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसान उत्पादक कम्पनी बनाकर बेहतर उत्पादन तथा मार्केटिंग की जा सकती है।
श्री नवीन शर्मा ने हरियाणा के भिवानी जिले का एक संस्मरण प्रस्तुत किया जिसमें एक एनजीओ के अंतर्गत राहत शिविर में कुछ महिलाओं ने रोटी बनाने का कार्य शुरू किया। एक दिन कोई सब्जी नहीं बन पाई थी। रोटी खाने के लिए एक महिला अपने घर से आचार ले आयी। उसका अचार बहुत स्वादिष्ट था। लोगों ने सुझाव दिया कि वह अचार बनाए और इसका व्यापार करे। इसके बाद उस महिला ने उत्साहित होकर करीब 12 सौ किलो अचार बनाकर बेचा। इसी तरह एक दूसरे समूह में महिलाओं ने लगभग एक लाख मास्क बनाएं। हरियाणा के अनेक गांव में स्थानीय स्तर पर मंडियों की शुरुआत हुई है। जिसमें ग्राम पंचायत को भी आढत मिली है। इस आढत के माध्यम से ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए की कमाई हुयी । एक दूसरे समूह ने सब्जी की पौध तैयार करके बेचने का काम किया है। हरियाणा के गांव को आत्मनिर्भर होने में देर नहीं लगेगी लेकिन इनको आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन चाहिए।
डा. अमित चोपड़ा ने बताया कि हरियाणा में कलस्टर विकास कार्यक्रम चल रहा है। जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता है। पांच से सात गांव मिलाकर इस योजना में कार्य कर सकते हैं। कृषि में मल्टीक्राप्स का उत्पादन करके भी अच्छा लाभ लिया जा सकता है। उद्यमिता विकास और विपणन की जानकारी और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा सकती है।
श्री प्रकाश राना ने कहा कि आत्मनिर्भरता का रोडमैप तैयार करना होगा। उसके अनुसार कार्य करके सफलता पायी जा सकती है। इसके बाद श्री बलदेव राज ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसी भी गांव में कोई बेरोजगार नहीं हुआ है। खेती के उत्पादन को जैविक खेती में बदल दिया जाना चाहिए। इससे बहुत लाभ मिल सकता है।
श्री मुकेश आर्य जी ने कहा कि गांव में बड़े-बड़े मंदिर बने हैं। इनके पास काफी जगह है। इसका सदुपयोग किया जाना चाहिए। मंदिर में एक डॉक्टर भी अप्वॉइंट किया जाय और एक एंबुलेंस भी हो। इससे गांव वालों को बड़ी सुविधा मिल सकेगी। गांव के लोग अपना एक कोल्ड स्टोरेज भी बना सकते हैं। प्रत्येक गांव में पशु पालन होता है। इनके गोबर का उपयोग बायोगैस प्लांट लगाकर भी किया जा सकता है। इससे लोगों को खाना पकाने और रोशनी के लिए अपनी गैस मिलेगी, ना तो प्रदूषण होगा और ना ही दुर्गंध फैलेगी। खेती के लिए अच्छी खाद मिलेगी।
श्री जे.पी. सिंह मलिक ने कहा की मजदूरों को प्रवासी ना कहें । वह हमारे अपने लोग हैं। रोजी रोटी के लिए बाहर गए थे। प्रवासी कहने से अलग होने का एहसास होता है। गांव की लिए योजनाएं, गांव में बनाई जाय। विकास में अंतिम व्यक्ति की सहभागिता सुनिश्चित की जाय। जैसे पहले गांव समाज मिलकर बड़े-बड़े काम कर लेता था, वह प्रक्रिया फिर से शुरू करने की जरूरत है।
श्री राजेन्द्र कुमार ने कहा कि सहभागिता की बात की जा रही है। गांव के युवाओं में उद्यमशीलता की बात हो रही है। क्या गांव के युवाओं में इन सब कार्यों के लिए कोई मानसिकता है, इस पर संदेह है। साधन, संपन्नता जितनी बढती जाती है, सहयोग और सामाजिक सरोकार कमजोर होता जाता है।
युवा शक्ति के संपादक तथा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्री शिव कुमार तिवारी के अनुसार हरियाणा के लोगों के पास अवसर तो आ गया है लेकिन कार्य की दक्षता व विशेषता के अभाव में वे उसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। कौशल विकास का कार्य यहाँ पर प्राथमिकता के स्तर पर लिए जाने की आवश्यकता है।
पंचायत प्रतिनिधि सुश्री सविता सोनी ने बताया कि सामाजिक कार्यों में महिलाओं की उपस्थिति एवं सक्रिय सहभागिता बहुत कम है। इसके निदान के लिए उनमें आत्मविश्वास पैदा करने की आवश्यकता थी। इससे पंचायतों में भी बदलाव आयेगा। वे अगर आगे बढ़कर आती हैं तो कई समस्याओं का समाधान स्वतः निकलने लगेगा।
श्री अत्तर सिंह श्योराण ने कहा कि कोरोना का असर हरियाणा के गाँवों में बहुत काम है। उनके अनुसार आज का युवा जमीन को छोड़कर नौकरी की तरफ भाग रहे हैं। फ्री में पाने की मानसिकता बदलनी चाहिए। गाँव में जो भी उत्पादित होता है, दूध, सब्जी, घी,अनाज सब बिकता है। गाँव में पैदा होने वाली चीजों पर आधारित उद्योग लगाएं जांय तो रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आत्मनिर्भरता आयेगी।
बालाजी कालेज के श्री जगदीश चौधरी के अनुसार गाँव की आत्मनिर्भरता का अवसर प्रकृति ने हमें दिया है इसका लाभ उठाना होगा। प्राथमिकता के आधार पर हमें लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना होगा। क्योंकि कहा कि रोजगार से आर्थिक लाभ होता है। इससे जीवन यापन में सहायता होती है। आत्मविश्वास बढता है। आज मंडियां उपलब्ध हैं। किसानों को उत्पाद बेचने में बहुत कठिनाई नहीं है। हमें अलग अलग क्षेत्र में स्थानीय परिस्थिति के अनुसार अलग अलग यूनिट खड़ी करनी होगी। महेंद्रगढ, रेवाड़ी आदि क्षेत्रों में जल संकट है। जल संरक्षण करके कृषि को बढाया जा सकता है। ग्राम पंचायत में सभी मिलकर निर्णय लेकर इस कार्य को करेंगें तो ज्यादा लाभ होगा।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय जी ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि तीसरी सरकार अभियान का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। वेबीनार के माध्यम से बहुत सारे प्रदेशों में लोगों को राहत एवं बचाव का सहयोग प्रदान करने के लिए संवाद किया जा रहा है। तीसरी सरकार और ग्राम स्वराज्य की कल्पना में एकरूपता है। ग्राम सभा और पंचायत प्रणाली में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि पंचायतों को ज्यादा पैसा और स्वतंत्रता मिले तभी पंचायत सरकार अच्छा काम कर सकेगी । अभी तक संविधान में सेल्फ गवर्नमेंट शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। अभियान आगे बढ़ेगा तब, संसद को इसे परिभाषित करने के लिए विवश होना पड़ेगा। काम करने के लिए अधिकार भी मिलने चाहिए अधिकार है, तो ठीक है,नहीं है तो उसके लिए लड़ना पड़ेगा। संघर्ष से ही लड़ाइयां जीती जाती है।
महेंद्र गढ़ से युवा कार्यकर्ता श्री महेश कुमार ने कहा कि इस अभियान में सूचना प्रोद्योगिकी में दक्ष युवाओं को जोड़ने से परिणाम जल्दी हासिल किए जा सकते हैं।
संवाद के अंतिम चरण में डॉ चंद्रशेखर प्राण ने कहा कि चर्चा को क्रिया में और विचार को कर्म में बदलने के लिए रणनीति बनाकर कार्य करना पड़ता है। उनके अनुसार क्षेत्रीय स्तर पर एक समूह विकसित किया जाय और उसको राज्य के साथ लिंक किया जाय। जब तक राज्य में सहयोगी साथियों का नेटवर्क नहीं बन जाता, तब तक सही तरीके से कार्य आगे नहीं बढ़ पाएगा। अन्य राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस का संकट काफी बढ़ गया है। इसलिए चर्चा कोरोना पर ही केन्द्रित हो जाती थी। हरियाणा में इसका विशेष प्रभाव नहीं है। इसलिए हरियाणा में चर्चा आत्मनिर्भरता पर केंद्रित हैं, लेकिन कोरोना को नजरअंदाज नहीं करना है। इसके लिए गांव स्तर पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। हरियाणा में पंचायतें संपन्न है। वह आगे बढ़कर के समस्या के समाधान के लिए पहल कर रही हैं। किंतु इस महामारी ने जो अवसर उत्पन्न किया है,उसके उपयोग के लिए जिस तरह के साहस और कुशलता की आवश्यकता है,वह पंचायत में नहीं है। इसके लिए कमजोर ग्रामसभा को सशक्त करने की आवश्यकता है। ग्राम सभा, समाज की ताकत के साथ खड़ी होती है।
उनके अनुसार इसके पहले सहकारिता राज्य सरकार के एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा होती थी लेकिन अब वर्ष 2012 में सहकारिता को लेकर नया संविधान संशोधन किया गया है। यह संसोधन पूरे देश में लागू हुआ है। पंचायत और सहकारिता जब मिलेगी, तभी गांव का भाग्य बदलेगा। पंचायत से स्वराज आएगा और सहकारिता से स्वावलंबन आएगा। इस संबंध को गहराई से समझना होगा। जागरूकता आदि के माध्यम से पंचायत को सशक्त बनाना होगा। फिर सहकारिता के माध्यम से गांव को समृद्ध बनाना होगा। दोनो के समन्वय से गाँव को समृद्ध बनाया जा सकता है।
वेबिनार के अन्त में श्री राजेन्द्र यादव ने सभी सहभागियों एवं विशिष्ट वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि प्रत्येक जिले में 10 ग्राम पंचायतों एवं कार्यकर्ताओं की पहचान कर कार्य को आगे बढाया जायेगा। हरियाणा के सभी जिलों को तीन क्षेत्रीय समूहों में बाँट करके कार्य किया जा सकता है। इसकी रुपरेखा बना कर फालोअप मीटिंग रखी जायेगी। प्रदेश स्तर पर भी एक कोर टीम का गठन किया जायेगा।