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पंजाब राज्य में कोरोना संकट : बचाव एवं राहत तथा आत्मनिर्भर गांव विषयक वेबिनार की कार्यवाही रिपोर्ट – 20 जून 2020

कार्यवाही रिपोर्ट्स

तीसरी सरकार अभियान के तत्वावधान में आयोजित इस वेबिनार की शुरुआत स्थानीय आयोजक श्री रघुबीर सिंह खारा (पूर्व जिला युवा अधिकारी) तथा श्री पंथदीप सिंह (राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त सरपंच) द्वारा संदर्भ व्यक्तियों तथा प्रतिभागियों का परिचय देकर स्वागत किया गया।

चर्चा के प्रारंभ में तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक डॉ चंद्रशेखर प्राण द्वारा वेबिनार के उद्देश्य के बारे में बताते हुए अवगत कराया गया कि कोरोना संकट के बचाव व राहत के लिए ग्राम पंचायतों व सामजिक संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही आज जब आत्मनिर्भरता के सवाल पर पूरे देश में चर्चा शुरु हो गई है तब गांव की आत्मनिर्भरता के लिए गांव से जुड़े लोगों के बीच संवाद अनिवार्य हो गया है। यह वेबिनार उसी दिशा मे एक लघु प्रयास है। उन्होने अवगत कराया की इस शृंखला में यह सातवां राज्य है। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा में यह आयोजित हो चुका है।

विमर्श के क्रम में सबसे पहले मिशन समृद्धि के संस्थापक श्री अरुण जैन ने अपने विचार रखे।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में इस समय वेबिनार के माध्यम से हम इकट्ठे व संगठित हो पा रहे हैं। संगठित होने से शक्ति बढ़ती है। बात करने से समझने और सीखने की भी शक्ति बढ़ती है। सरपंच अपने गांव में एक सीईओ की तरह काम करता है। पंचायत यदि संगठित है तो वह शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आजीविका के क्षेत्र में अच्छा काम कर सकती है। केरल में पंचायतों ने अच्छा काम किया है। पंजाब में भी अच्छा काम हो रहा है। यदि कुछ पंचायतों का क्लस्टर बनाकर काम किया जाए तो अच्छी एंटरप्रेन्योरशिप हो सकती है। अब डिजिटल प्लेटफॉर्म बन गया है। किसी को घर से निकलना नहीं पड़ा, लेकिन हम बात कर रहे हैं, इस तरह की और भी ग्रुप बनाकर हम अपनी पहुंच बढ़ा सकते हैं। बात कर सकते हैं और समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं। इसमें विचार भी आपके होंगे और कार्य भी आप ही करेंगे। कार्य करने से अवसर बढ़ते हैं। वर्ष 1997-98 में सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री एक हजार करोड़ की भी नहीं थी, आज यह इंडस्ट्री दस लाख करोड़ की बन चुकी है। इस तरह हम हर प्रयास व कार्य का विस्तार कर सकते है।

मिशन समृद्धि के ही प्रतिनिधि श्री योगेश एंडले ने कहा कि कई प्रदेशों के बाद पंजाब के साथियों से बात करने का मौका मिला है। शुरुआत में तो कोरोना ने हमको बहुत डराया लेकिन अब इसके साथ संघर्ष करने की हमारी क्षमता बढ़ रही है। इस संबंध में उन्होने दो बातें कहीं। पहली यह कि पंजाब में भी यह देखने की आवश्यकता है कि कोरोना के बारे में गांव के लोगों को समुचित जानकारी है या नहीं। गांव के लोगों में कोई भ्रम तो नहीं है। सही एवं समुचित जानकारी सभी के पास होनी चाहिए। दूसरा यह कि कोरोना ने आत्मनिर्भर होने का अवसर दिया है। इसका कैसे उपयोग करेंगे। झारखंड राज्य में कुछ अच्छे प्रयोग हो रहे हैं।जिससे हमें सीख लेनी चाहिये।

इसके बाद पंजाब प्रदेश की वस्तुस्थिति की जानकारी देते हुए सरपंच पंथदीप ने कहा कि यदि कोरोना महामारी के प्रभाव की तुलना अन्य राज्यों से करें तो पंजाब में रिकवरी रेट बहुत अच्छा है। संक्रमण और डेथ रेट बहुत कम है। हमारे यहां सरकार और सामाजिक संगठनों ने अच्छे स्टेप उठाए हैं। जमीनी स्तर पर कार्य हो रहा है। सरकार ने वीकेंड में लाकडाऊन शुरु किया है। यह भी एक प्रभावी प्रयास है क्योंकि सप्ताह के अंत में ही अनेक फंक्शन रखे जाते थे। प्रधान और वार्ड मेंबर एकजुट होकर अपने गांव को बचाने के लिए अच्छा काम कर सकते हैं। हमने अपनी पंचायत छीना में एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें सभी वार्ड मेंबर एवं संबंधित विभागों के सभी कर्मचारियों को जोड़ा गया है। मेरे गांव में कोई कोरोना पेशेंट नहीं है। गांव के लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। गांव में अनावश्यक आवागमन रोकने के लिए पक्के बैरियर बनवाएं हैं। अब लोग गांव की तरफ लौट रहे हैं। यह आत्मनिर्भरता बनने के लिए अच्छा मौका है। इस दिशा में नए सिरे से प्रयास किया जा सकता है।

 कपूरथला से श्री जगजीवन कुमार जी ने बताया की गांव के लोगों को हाथ धोने, सोशल डिस्टैसिंग और मास्क लगाकर चलने की जानकारी दी गई है। गाँव में वापस आने वाले लोगों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन भी किया जा रहा है।

महिला सरपंच सुश्री मीनू बालाजी ने कहा कि हमने बहुत प्रयास किया कि कोरोना पंजाब में ना आए लेकिन ऐसा नहीं हो सका। किंतु फिर भी हमने गांव को बचा लिया है। लोगों को जागरूक किया गया है। लोगों ने बाहर आना-जाना बहुत कम कर दिया है। लोग अपने आप को सैनिटाइज कर रहे हैं। मिशन फतेह की तरह काम करके गांव को जगाने की जरूरत है। उन्हें बताना है कि इलाज से परहेज अच्छा होता है। धान की खेती का समय है। मजदूर ज्यादातर वापस चले गए हैं। इसलिए गांव के लोग स्वयं ही कार्य कर रहे हैं। धार्मिक संस्थाएं भी पंजाब में अच्छा सहयोग कर रही हैं। मेरा सुझाव है कि राशन बांटते समय महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन भी दिया जाय।

फाजिल्का जिले के सरपंच श्री लखबीर सिंह जी ने कहा कि कोरोना वायरस ने यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि खेती के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। खेती में पांच अर्थात मनुष्य, फसल, दरख्त, पशु एवं पंक्षी का जुड़ाव होता है। पहले हम नमक या चाय जैसी कुछ चीजों को ही बाजार से ले आते थे, बाकी सभी चीजें गांव के अंदर ही पैदा की जाती थी। मैं उस पुरानी परंपरा को अपने गांव में फिर से शुरू करने का प्रयास कर रहा हूं।

श्री लोकदीप सिंह एडवोकेट पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट और संस्थापक लोक वेलफ़ेअर फाउंडेशन ने बताया कि जब 22 मार्च को लॉक डाउन की घोषणा हुई थी तब हम लोग सहम गए थे लेकिन अब काफी जानकारी हो गई है। अब लोगों को अपना लाइफ स्टाइल चेंज करना पड़ेगा। सोशल डिस्टेंसिंग रखनी पड़ेगी, मास्क लगाना पड़ेगा और सैनिटाइजर लेकर चलना पड़ेगा। गांव के सरपंच और सदस्यों को यह मत पास करना पड़ेगा कि गांव में ज्यादा गैदरिंग ना हो सके। अभी ग्राउंड लेवल पर लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि अगर हम बाहर जाएंगे तो कोरोना को साथ ले आएंगे।

श्री गुरमीत सिंह सेखों ने कहा कि मानवता को धर्म मान कर चलना होगा। कुदरत बलवान है। उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। कुदरत के हिसाब से चलना चाहिए। इस महामारी में दुनिया के तमाम काम-धंधे फेल हुए लेकिन खेती का काम फेल नहीं हुआ। आर्गेनिक खेती शुरू करनी चाहिए। जिनकी इम्यूनिटी स्ट्रांग है, कोरोना उनको नुकसान नहीं पहुंचा सकता। रसायनिक खाद का प्रयोग बंद करना चाहिए, जिससे लोगों की इम्यूनिटी स्ट्रांग हो सके।

श्री रघुवीर सिंह खारा के अनुसार कोरोना के मामले में पंजाब के कई प्लस प्वाइंट सामने आए हैं। इस महामारी में कुछ बातें अच्छी भी हुई हैं। शादी पर फिजूलखर्ची बंद हुई है। जो अच्छी बातें हों, उन्हें अपना लेना चाहिए। पंजाब से लेबर वापस चली गई। इस चुनौती को यहां के लोगों ने कबूल किया है। लोग अपना काम स्वयं करने के लिए तैयार हो रहे हैं। कई लोग जो दूसरे प्रदेशों से लौट कर आए हैं, वह ट्रैक्टर की ट्राली में हट बनाकर पिज्जा बेच रहे हैं। इस तरह गांव में भी रोजगार निकाल सकते हैं और नौजवानों की बेरोजगारी दूर कर सकते हैं।

श्री अरुण कुमार वशिष्ठ ने कहा कि जिस तरह हम समाज के सहयोग से बड़े इवेंट, कबड्डी आदि का आयोजन कराते हैं, उसी तरह वेंटिलेटर जुटा सकते हैं। इससे बीमार जल्दी ठीक हो जायेंगे। समाज की ताकत से लोगों का भला किया जा सकता है।

श्री गुरमीत सिंह बाठ सरपंच ने कहा कि कोरोना छिपी हुई बीमारी है। इसको समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। आत्मनिर्भरता के लिए खेती की नयी जानकारी का प्रशिक्षण दिया जाय। सब्जियों का उत्पादन करें और बाग लगाएं। इससे खाने का खर्चा बचेगा। सादा खाना, सादा पहनना और दिखावा बंद करना पड़ेगा।

पंचायत खबर के सम्पादक श्री संतोष सिंह ने पूँछा कि पंजाब खेती किसानी से जुड़ा हुआ प्रदेश है। मजदूर वापस चले गए हैं तो खेती में परेशानी जरूर हो रही होगी। पंजाब में मजदूरों के लिए पर्याप्त काम था। फिर मजदूरों को वापस क्यों जाना पड़ा।

श्री गगन खैरा ने कहा कि हमारे ज्यादातर घरों में माताओं बहनों के पास अपनी सिलाई मशीन है। इसलिये वह कम से कम अपने घर के लोगों के लिए मास्क जरूर बना कर दें। लोग मास्क लगाएंगे तभी अपने को और दूसरों को संक्रमण से बचा पाएंगे। पंजाब के गांव में खेती करने वाले लोग अधिक हैं। गेहूं, सब्जी उगाते हैं। खाना ही मुख्य आवश्यकता है। हमें हाथ की घड़ी और कड़ा जैसी वस्तुएं उतारकर घर से बाहर जाना चाहिए, इससे इन्हें सैनीटाइज नहीं करना पड़ेगा। हमारे घरों में परम्परा है कि गृहणियां रसोई में जूते नहीं ले जाती। हमें भी अपने जूते घर से बाहर उतारने चाहिए।

श्री सुखविंदर कौर छीना समाज सेविका जी ने कहा कि हमने बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। उसके माध्यम से उनको पढ़ाना और होमवर्क देना शुरू किया। मेरे ग्रुप में जो भी विद्यार्थी हैं, उनको मैंने जागरूक किया है। जागरूकता मीडिया भी दे रहा है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है।

श्री अतुल मोंगा के अनुसार मनरेगा में पंचायतें कुछ आईडिया ही इंप्लीमेंट कर रही हैं। इसमें बहुत सारे एस्पेक्ट हैं, जिन पर काम किया जाना चाहिए। नैफेड कंपोस्ट बनाने की एक तकनीक है, जो बहुत ही उपयोगी है, इसे बेचा भी जा सकता है। ऑर्गेनिक फसल तैयार कर सकते हैं, यह ज्यादा लाभदायक है। एक छोटा आइडिया है, जिसे सरलता से इम्प्लीमेंट किया जा सकता है। प्रत्येक पंचायत में मनरेगा योजना में पंजीकृत मजदूर हैं। यदि हर जाबकार्ड होल्डर एक पेड़ लगाये और उसका संरक्षण करें, तो इससे पंजाब राज्य में हरियाली आ जायेगी।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सुश्री ज्योति खेहरा ने कहा कि इस समय लोगों की मेन्टल हेल्थ भी डिस्टर्ब हो रही है। डर है कि कहीं दिमागी तौर पर अपाहिज ना हो जांय। यह इसलिए हो रहा है कि लोग पैसा नहीं कमा पा रहे हैं। मेरा सुझाव है कि लोगों को पहल करने के लिए उत्साहित करें और उनके लिए अवसर भी जुटाएं। ऐसे लोग जो बच्चों को पढा सकते हैं, उन्हें ट्युटर के रूप में मौका दें। स्थानीय स्तर पर सिलाई करने वालों को मौका दें। लोगों को अवेयर करने के साथ उनमें विश्वास जगाएं कि वह अच्छा कर सकते हैं। उनका मनोबल बढायें।

प्रोफेसर हरजोध सिंह ने कहा कि गांव में जागरूकता कम है। अगर पंचायत कठोर नियम नहीं बनाएगी तो यहां लोग बचाव के तरीकों को नहीं अपनाएंगे। पंजाब में एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्री है। इसलिए गांव में समस्या नहीं है। नगर में हो सकती है। हमने मजदूरों को रोकने का प्रयास किया था लेकिन लोग अपने परिवार के पास वापस जाना चाहते थे।

सुश्री मनिंदर कौर जनरल सेक्टरी खालसा हेल्पिंग हैंडस फाउंडेशन अनुसार स्टूडेंट्स के लिए भी कार्य करने की जरूरत है। वह बाहर नहीं जाना चाहते हैं। हम लोग उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित कर रहे हैं। आनलाइन स्लोगन कम्पटीशन भी कराया है। छोटे छोटे काम से भी लोग प्रोडक्टिव होंगे। कई नये आइडियाज भी आ जायेंगे। उनकी कौंसलिंग भी कर सकते हैं। जिससे लोग हतोत्साहित ना फील करें।

जमींदार किसान क्लब के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह ने बताया कि गांव में किसानों को अवेयर किया है कि वह सोशल डिस्टेंस बनाएं, हाथ धोयें और मास्क लगाएं। हमने किसानों की मीटिंग की है। उन्हें प्रेरित किया है कि धान की बुवाई में सभी किसान अपने गाँव के ही लेबर लगाएंगे। किसानों ने बात मानी है। वह अपने गांव के लोगों के बारे में जानते हैं। सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क और सैनीटाइजर, हम जिंदगी भर रख सकते हैं।

सुश्री बेअंत कौर ने कहा कि हमें यह ध्यान रखना है कि हमारे गांव में कोई भूखा ना रहे। यदि हमारे पास राशन है तो हम उनको जरूर दें, जिनके पास खाने के लिए नहीं है।

हिंदुस्तान समाचार समूह के सम्पादक एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के चेयरमैन पद्मश्री रामबहादुर राय ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि तीसरी सरकार अभियान का प्रयास सराहनीय है। पंजाब दूसरे राज्यों से भिन्न है। यह बहादुरों और किसानों का राज्य है। यहां उद्योग भी है और कृषि भी है। काफी हद तक आत्मनिर्भरता भी है। यदि गांव आत्मनिर्भर हो जाता है तो राज्य और केन्द्र सरकार का बोझ कम हो जाता है। हमारे भीतर परस्परता और सहयोग कैसे बढे़, इसके लिए निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है।

सुश्री श्रुति अरोड़ा ने बताया कि हमने दिल्ली सरकार के साथ कार्य किया है। किसान को मेहनत के हिसाब से दाम नहीं मिल पाता। किसानों को यह सिखाना होगा कि कैसे वह डायरेक्ट सेल कर सकते हैं। डायरेक्ट मार्केट लिंक बना सकते हैं। सरकार की कई योजनाएं भी हैं, जो इनके लिए उपयोगी हो सकती हैं।

श्री जगतार सिंह अंजान के अनुसार जीवन शैली बहुत बदल चुकी है। अब इसकी चिंता होनी चाहिए कि बच्चे तंदुरुस्त कैसे हों, उनकी इम्यूनिटी कैसे बढे़। गांव में कोई भूखा ना रहे। इस संकट में लोगों ने एक दूसरे की मदद की है। यह भावना और मजबूत हो।

श्री प्रमोद चौधरी ने कहा कि सरकार आत्मनिर्भरता के लिए कई योजनाएं शुरू कर रही है। मध्यम एवं लघु उद्योग के विकास के लिए 10 दिन का नि:शुल्क प्रशिक्षण देने की योजना है। इसका लाभ उठाकर लोग अपना उद्यम शुरू कर सकते हैं।

डा. रिचा दलहोत्रा ने बताया कि कोरोना से अपना बचाव ख़ुद ही करना है।

पत्रकार श्री संतोष सिंह ने एक बार पुनः सवाल उठाया कि पंजाब के गांव में भी कोरोना से आगे की तैयारी करनी है। मजदूर लौट गए हैं लेकिन खेती करनी है, फैक्ट्रियां चलानी हैं तो आगे की योजना क्या है। पंजाब में किसानों और उद्यमियों के मन में क्या चल रहा है?

मिशन समृद्धि के संस्थापक सदस्य श्री योगेश एंडले ने सुझाव दिया कि छोटे छोटे ग्रुप बनाकर बात करें। वार्ड सभाएं करके आत्मनिर्भरता को बढाने की बात करें। यही हमारी, गांव, प्रदेश और देश की शक्ति बनेगी। देश में कई संस्थाएं हैं जो टेक्नोलॉजी का अच्छा प्रयोग कर रही हैं, हम उनको कनेक्ट किया जा सकता हैं। इसी तरह फार्मर और कंज्यूमर को जोड़ने में भी सहयोग किया जा सकता है।

इसके बाद सरपंच पंथदीप ने श्री सन्तोष सिंह के सवालों के संदर्भ में बताया कि बाहर के मजदूरों को रोकने का प्रयास किया गया था। उनके रहने खाने का पूरा अरेंज किया गया था। कृषि से संबंधित मजदूर कम गए हैं। जाने वालों में ज्यादा इंडस्ट्री वाले ज्यादा हैं। पंजाब में लगभग 11 लाख लोग पंजीकृत हुए थे। इसमें 08 लाख लोग जा चुके हैं। इनमें से काफी लोग लौटकर आएंगे। पंजाब में लंगर की परम्परा है, इसलिए यहां भुखमरी नहीं हो सकती। इंटरप्रेन्योर और सेल्फ हेल्प ग्रुप को जोड़ लें तो रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में अच्छा कार्य किया जा सकता है। अब जीवन जीने का तरीका बदल रहा है, लोग गांव की ओर लौट रहे हैं। पंजाब में तीसरी सरकार के रूप में पंचायत अच्छा कार्य कर रही है।

इसके बाद श्री रघुवीर सिंह खारा ने पुनः सुझाव देते हुए कहा कि हमने ठेके पर खेत लेकर जैविक खेती की शुरुआत किया है। जैविक खेती भी लाभदायक कार्य है। आत्मनिर्भरता के लिए प्रशिक्षण आयोजित कर सकते हैं।

श्री उपेंद्र दत्त ने कहा कि गरीब कारीगर को ट्रेनिंग दी जाए। गांव में लोग सब्जी अवश्य पैदा करें। यह खायी भी जायेगी और बांटी भी जा सकती है। खेती के लिए आर्गेनिक फार्म तैयार किया जाए।

चर्चा के अंतिम चरण में सबके विचारों को समेटते हुए डा.चन्द्रशेखर प्राण ने निष्कर्ष के रूप में कहा कि सभी साथियों ने अच्छे सुझाव दिए हैं। इन पर कार्य करने की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि कैसे इसको इम्पलीमेंट कर सकते हैं। एक सप्ताह के पश्चात आप आज के वेबिनार के सापेक्ष फालोअप मीटिंग कर सकते हैं। अन्य राज्यों में इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। उनके यहाँ क्षेत्रीय स्तर पर समूह बन गए हैं और कार्य के लिए प्रत्येक जिले से 10 ग्राम पंचायतों तथा कार्यकर्ताओं का चिन्हीकरण किया जा रहा है। यह भी देख लें कि पंजाब के भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए इसे कितने क्षेत्र में समायोजित किया जा सकता है। इसके बाद कार्यक्षेत्र के रूप में जिले एवं पंचायत की पहचान की जानी है।अच्छे सरपंच या सामाजिक कार्यकर्ता जहां सक्रिय हैं, उस क्षेत्र को भी जोडा़ जा सकता है। क्षेत्रीय स्तर पर समूह बनाकर संवाद शुरु किया जा सकता है। कोरोना ने गांव में बदलाव और आत्मनिर्भरता का अवसर प्रदान किया है। हमारी जीवन शैली बदलेगी। अपनी संस्कृति के अनुरूप जीवन जीना होगा। गाँव में पुनः संबंधों का विकास होगा। साथ-साथ रहने और जीने की भावना दृढ होगी। भारत की ग्रामीण संस्कृति और चेतना का जागरण होगा। यही गांव का पुनर्जागरण होगा।

वेबिनार के अन्त में सरपंच श्री पंथदीप ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि तीसरी सरकार अभियान ने हम लोगों को एक मंच पर आकर विचार साझा करने का मौका दिया है, इसके लिए हम सभी आभारी हैं। पंजाब में जितने भी अच्छे सरपंच और सामाजिक कार्यकर्ता, चिकित्सक, शिक्षक एवं पत्रकार हैं, सबको जोड़कर ग्राम पंचायतों के माध्यम से इम्प्लीमेंट किया जायेगा। सबको अच्छा खाने, पहनने और रहने के लिए मिले, ऐसी आत्मनिर्भरता के लिए प्रयास करेंगे। सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं इंटरप्रेन्योरशिप को जोड़कर कार्य किया जाएगा। हम अपने जिले गुरूदासपुर में डा.प्राण की विचारधारा के अनुरूप कार्य करते हुए गांव का विकास करेंगे। फालोअप मीटिंग की तारीख तय करके सभी साथियों को शीघ्र ही बता दिया जायेगा। आप सभी का पुनः धन्यवाद।

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