झारखण्ड प्रदेश में गत 31 मई 2020 को कोरोना संकट विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया था, जिसकी प्रथम फॉलोअप मीटिंग 10 जून 2020, दिन बुधवार को सम्पन्न हुई। इसमें प्रदेश भर से लगभग 30 की संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि, लेखक, पत्रकार एवं शिक्षक सम्मिलित हुए। इस मीटिंग की शुरुआत करते हुए तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक डा. चन्द्रशेखर प्राण ने सम्बन्धित सहभागियों का स्वागत किया और वेबीनार में हुयी चर्चा के प्रमुख बिन्दुओं के बारे में बताया। डा. प्राण ने कहा कि आज की फालोअप में मीटिंग में जिन बिन्दुओं पर विचार करना आवश्यक हैं, उनका विवरण इस प्रकार है।
1- कोविड-19 की महामारी के पीड़ितों को उपचार एवं राहत की सुविधा उपलब्ध कराने, संक्रमण से बचाव हेतु जानकारी देने, प्रवासी मजदूरों एवं बेरोजगारों को रोजगार उपलबध कराने, पंचायत को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अवसर देने एवं सामाजिक संगठनों को भी जनहित के कार्यों सहभागी बनाने के लिए राज्य सरकार को आग्रह पूर्ण प्रतिवेदन दिया जाय।
2- ऐसे जिलों को चिन्हित किया जाय, जिसमें पहले से कोई प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता या संगठन कार्य कर रहा हो। कार्यक्रमो के संचालन एवं क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जिले से 10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया जाय और उसमें स्थानीय नेतृत्व की भी पहचान की जाय।
3- उपचार, राहत एवं बचाव तथा जागरूकता के कार्यों को प्राथमिकता पर किया जाय।
4- ग्राम पंचायत की भूमिका, ग्राम सभा सदस्यों की सहभागिता और ग्राम स्वराज हेतु पहल एवं प्रयास पर चर्चा।
5-झारखंड राज्य की विशेष परिस्थितियों में आत्मनिर्भरता एवं रोजगार हेतु संभावनाएं और अवसर।
6- सामाजिक समरसता, संवेदनशीलता, परस्पर सम्बद्धता एवं सामाजिकता के विकास हेतु, व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण।
7-स्वालंबन एवं स्वराज्य की दृष्टि से गांव का संगठित एवं सुनियोजित विकास ।
8- गांव की आत्मनिर्भरता एवं विकास के कार्यों में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों को भी सहभागी बनाया जाय।
9- सेल्फ मोटीवेटेड लोगों की पहचान और नेटवर्किंग तथा जनहित के विषयों पर सही समझ के विकास के लिए मास्टर ट्रेनर चैनल तैयार करना।
10- एक्शन प्वाइंट्स (क्रिया बिन्दुओं) का निर्धारण एवं अगले तीन महीने की कार्ययोजना।
इस प्रतिवेदन में राज्य सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप पंचायतों के कार्य ना कर पाने के कारणों एवं कठिनाइयों पर सुझाव सहित आग्रह करना उचित हो सकता है। उपर्युक्त बिन्दुओं के सापेक्ष चर्चा को आगे बढाते हुए डा. प्राण ने राज्य सरकार को प्रतिवेदन देने के विषय पर सुझाव रखने का आग्रह किया।
इस विषय पर मंथन संस्था के प्रमुख श्री सुधीर पाल ने कहा कि मेरा सुझाव है कि प्रतिवेदन में तीन बातें जरूर शामिल की जांय।
1- जिंदा रहने के लिए रोजगार जरूरी है। असंगठित क्षेत्र में रोजगार कम हुआ है। रोजगार के अवसर बढाये जांय।
2- झारखंड में आत्मनिर्भरता और रोजगार के लिए भूमि एक बड़ा संसाधन है। लगभग 21लाख एकड़ भूमि माइनिंग के लिए दी गयी है। इसमें से 40 प्रतिशत जमीन वापस लेकर भूमिहीनों को दी जाय। इसके साथ ही लगभग60 हजार परिवार ऐसे हैं, जिनको वनपट्टा मिला है, उन्हें मनरेगा की योजना का लाभ नहीं मिलता। इनको भी इस योजना में शामिल किया जाय।
3- वनोत्पाद की कीमतों में वृद्धि की जाय तथा आदिवासी समितियों एवं सहकारी समितियों को स्वाबलंबी बनाने की पहल की जाय। इन समितियों का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है और ग्राम पंचायत भी रोजगार पैदा नहीं कर पा रही है। पंचायत सामान्य आदमी के सबसे करीब है, इसके माध्यम से अच्छे परिणाम मिल सकता है। इसलिए पंचायत को ज्यादा सशक्त और स्वतंत्र बनाया जाय।
इस विषय पर श्री संजय शर्मा, मुखिया श्री लक्ष्मण यादव, श्री साकेत कुमार, बोकारो मुखिया संघ के अध्यक्ष श्री अजय सिंह, श्री अनिल भगत एवं हेल्प फाऊंडेशन के प्रतिनिधि श्री हितेश चन्द्र ने लोगों को रोजगार दिलाने, प्रशासनिक समस्याओं को दूर करने तथा पंचायतों को अधिक स्वतंत्रता एवं शक्ति देने के लिए सुझाव प्रस्तुत किये।
इस सबंध में अंततः यह तय हुआ कि प्रतिवेदन तैयार करने के लिए एक ड्राफ्ट कमेटी बना ली जाय। यह कमेटी प्रतिवेदन का प्रारूप तैयार कर सभी को प्रेषित करे। सभी सहभागी उस पर विचार करें और उसमें सभी आवश्यक सुझावों को शामिल करके अंतिम रूप दें। इसके बाद सरकार को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाय। यह प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूर्ण कर ली जानी चाहिए।
ड्राफ्ट कमेटी में सर्वसहमति से सर्वश्री सुधीर पाल, हितेश चन्द्र, विनोद कुमार गढवा, अनिल भगत, प्रकाश राना- अजयसिंह मुखिया को सम्मिलित किया गया है।
इसके बाद संगठनात्मक विस्तार और क्रिया क्षेत्र के निर्धारण पर विचार किया गया। इस बिन्दु पर श्री संजय शर्मा, श्री शैलेश चौधरी, सुश्री कंचन देवी, श्री प्रकाश राना, श्री साकेत कुमार, श्री सुरेन्द्र दूबे, श्री सत्येन्द्र शुक्ला, सुश्री सुमतिका कश्यप आदि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इन सुझावों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया कि सम्पूर्ण झारखंड राज्य में कार्य प्रारम्भ किया जाय। प्रत्येक जिले तक पहुंच स्थापित करने हेतु सभी मंडल स्तर पर क्षेत्रीय समितियां बनायी जांय। इसके लिये श्री सुधीर पाल का सहयोग लेते हुए श्री साकेत कुमार तथा श्री प्रकाश राणा सम्बंधित साथियों के साथ वार्ता करके स्वैच्छिक आधार पर उनकी सहमति लेकर उन्हें क्षेत्रीय समिति के सदस्य के रुप में शामिल करें ।
इसके बाद रोजगार और आत्मनिर्भरता के विषय पर चर्चा केन्द्रित हुयी। इस विषय पर सत्येन्द्र शुक्ल ने लाख की खेती एवं आम की बागवानी का सुझाव दिया। श्री प्रकाश राना ने कहा किे मशरूम, शहतूत एवं शहद के उत्पादन में लागत कम है और कम समय में अधिक लाभ मिल सकता है। सुश्री कंचन देवी का कहना था कि सरकारी योजना, जैसे पेंशन, राशन आदि के आवेदन में यदि प्रशासन जबाबदेही से कार्य करे तो सरकारी योजनाएं भी मददगार हो सकती हैं। मुखिया संघ के अध्यक्ष श्री विकास कुमार महतो, श्री सुधीर पाल, अम्बेडकर फाऊंडेशन के प्रतिनिधि ने वनोत्पाद की मार्केटिंग, मनरेगा, बिरसा हरियाली सहित सभी सरकारी योजनाओं को मानीटरिंग पर चर्चा की। श्री अनिल भगत ने कहा कि सरकार यह व्यवस्था बनाए कि कृषि एवं वनोत्पाद संबंधी कार्यों पर ऋण पंचायतों की अनुशंसा पर दिया जाय। श्री साकेत कुमार ने कहा कि झारखंड के पास संसाधन और क्षमता है। समस्या सिर्फ बेहतर सप्लाई और मार्केटिंग की है। यदि हम पौधे बनाए और देश भर में उसकी सप्लाई करें तो यह भी बहुत लोगों के लिए लाभदायक होगा।
इसके बाद श्री संजय शर्मा ने डा. प्राण से आग्रह किया कि झारखंड में पंचायत चुनाव नवम्बर से दिसम्बर के बीच होने वाले हैं। पंचायत चुनाव में सही एवं सजग नेतृत्व चुनकर आये, इसके लिए आवश्यक है कि व्यापक स्तर पर जागरूकता के कार्यक्रम संचालित किए जांय। इस पर रणनीति और समझ के विकास के लिए कुछ सेलेक्टेड लोगों की एक बैठक या कार्यशाला प्रत्यक्ष रूप से रांची में आयोजित की जाय। इस प्रस्ताव पर लगभग सभी ने सहमति जतायी और जुलाई या अगस्त में कार्यक्रम करने का आग्रह किया।
फालोअप मीटिंग में हुई चर्चा और सुझावों को समेटते हुए अन्त में यह तय हुआ कि प्रत्येक जिले में ऐसी 10 ग्राम पंचायतों की पहचान करें, जहाँ पहले से परिचित कोई अच्छा मुखिया या सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित हो। जिले स्तर पर सहयोग एवं समन्वयन के लिए एक समझदार व सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता की पहचान कर उसे जिले की जिम्मेवारी दी जाय ।
साथ ही प्रतिवेदन का ड्राफ्ट भी एक सप्ताह के भीतर तैयार कर वाट्सएप समूह के माध्यम से साथियों की राय लेने हेतु उनको उपलब्ध कराया जाय।
पंचायत चुनाव में जागरूकता के लिए अगस्त में एक बैठक की योजना बनायी जायेगी। यह भी प्रयास किया जायेगा कि अगली फालोअप मीटिंग में आत्मनिर्भरता के लिए कुछ विशेषज्ञों को भी बुलाया जाय।
मीटिंग के अंत में श्री साकेत कुमार ने सभी प्रतिभागियों एवं डा चन्द्रशेखर प्राण के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।